Guest Teachers: दिल्ली सरकार ने राजधानी के सरकारी स्कूलों में काम कर रहे हजारों अतिथि शिक्षकों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर ली है. अब हरियाणा की तर्ज पर दिल्ली में भी अतिथि शिक्षकों को नियमित शिक्षकों जैसी सुविधाएं देने पर विचार किया जा रहा है. इससे उन्हें हर साल अनुबंध को लेकर आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है. साथ ही उनकी सेवाएं 58 वर्ष की आयु तक नियमित करने का प्रस्ताव भी सरकार के सामने है. फिलहाल दिल्ली में करीब 16 हजार अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं, जो कई सालों से स्थायीत्व और भत्तों की मांग करते आ रहे हैं. अब सरकार की इस पहल से उन्हें नई उम्मीद मिली है.
स्वास्थ्य सुविधा और एचआरए देने की योजना पर विचार
दिल्ली सरकार ने अतिथि शिक्षकों को न केवल नौकरी की स्थायीत्व देने की दिशा में कदम बढ़ाया है. बल्कि उन्हें अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह स्वास्थ्य सुविधा और हाउस रेंट अलाउंस (HRA) देने का भी विचार किया जा रहा है. सूत्रों की मानें तो इस विषय पर शिक्षा मंत्री को एक विस्तृत फाइल भेजी गई थी. जिसे कुछ जरूरी सुधारों के लिए वापस मंगवाया गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि सुधार के बाद यह प्रस्ताव फिर से भेजा जाएगा और मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा.
सालाना अनुबंध की परेशानी से मिलेगी निजात
अभी तक अतिथि शिक्षकों की सबसे बड़ी समस्या यह रही है कि उनकी सेवाएं हर साल अनुबंध के आधार पर होती हैं. इसका मतलब यह है कि हर साल उन्हें नौकरी के लिए फिर से आवेदन देना होता है, जिससे उनके मन में नौकरी छूटने का डर बना रहता है. अगर सरकार का प्रस्ताव लागू हो गया तो यह अनुबंध की प्रक्रिया बंद हो जाएगी और शिक्षक 58 साल की उम्र तक स्थायी रूप से काम कर सकेंगे. इससे उन्हें मानसिक सुरक्षा मिलेगी और शिक्षा की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.
मातृत्व अवकाश और अन्य सुविधाओं पर भी विचार
जानकारी के अनुसार शिक्षा निदेशालय अतिथि शिक्षकों का विस्तृत डाटा जुटा रहा है ताकि उन्हें सभी सरकारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें. इसमें मातृत्व अवकाश (maternity leave) और पितृत्व अवकाश (paternity leave) जैसे अधिकार भी शामिल हो सकते हैं. सरकारी स्कूलों में कार्यरत स्थायी शिक्षकों को जो सुविधाएं मिलती हैं. वही अतिथि शिक्षकों को भी देने की बात पर विचार चल रहा है. अगर ऐसा हुआ तो यह शिक्षा क्षेत्र में काम कर रहे हजारों अस्थायी शिक्षकों के लिए ऐतिहासिक बदलाव साबित होगा.
ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन की सक्रियता बढ़ी
अतिथि शिक्षकों के हक में आवाज़ उठाने वाली संस्था ऑल इंडिया गेस्ट टीचर्स एसोसिएशन (AIGTA) इस मुद्दे को लेकर सक्रिय है. एसोसिएशन के महासचिव शोएब राणा ने बताया कि बीते 7 सालों में उनका वेतन नहीं बढ़ा है और न ही उन्हें किसी प्रकार की सरकारी सुविधा मिली है. उन्होंने कहा कि अतिथि शिक्षक केवल मानदेय (honorarium) पर निर्भर हैं. जबकि उनके कंधों पर दिल्ली के सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था टिकी हुई है. इसलिए अब वक्त आ गया है कि उन्हें भी नियमित शिक्षकों की तरह सुविधाएं और वेतन मिले.
मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से होगी मुलाकात
शोएब राणा ने जानकारी दी है कि वह जल्द ही दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और शिक्षा मंत्री आशीष सूद से मुलाकात करेंगे और नियमितिकरण की मांग को उनके सामने रखेंगे. उन्होंने कहा कि “हम समान काम के लिए समान वेतन (equal pay for equal work) की मांग कर रहे हैं. साथ ही सेवानिवृत्ति लाभ (retirement benefits) जैसे प्रावधान भी होने चाहिए. सरकार को यह समझना होगा कि अतिथि शिक्षक केवल अस्थायी कामगार नहीं हैं. बल्कि वे इस व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं.”
पूर्व सरकारों पर उठाए सवाल, अब उम्मीदें जगीं
एआईजीटीए ने पूर्ववर्ती सरकारों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए. संगठन का कहना है कि कांग्रेस और आप सरकार दोनों के कार्यकाल में अतिथि शिक्षकों को केवल काम कराया गया. लेकिन उनके अधिकारों पर ध्यान नहीं दिया गया. अब जब मौजूदा सरकार ने उनकी मांगों को गंभीरता से लेना शुरू किया है, तो शिक्षकों में नया उत्साह देखने को मिल रहा है. वे मानते हैं कि अगर सरकार का प्रस्ताव पास हो गया, तो यह उनके लिए एक स्थायी भविष्य की नींव रखेगा.