New Rules For Private Schools: राज्य के सभी प्राइवेट स्कूलों को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) की ओर से सख्त निर्देश जारी किए गए हैं. इन निर्देशों के तहत अब स्कूल संचालक छात्रों या अभिभावकों पर फीस, किताबें और ड्रेस खरीदने को लेकर कोई दबाव नहीं बना सकेंगे. यदि स्कूल किसी भी प्रकार की फीस में बदलाव करना चाहते हैं, तो उन्हें कम से कम 6 महीने पहले इसकी सूचना और प्रस्ताव शिक्षण नियंत्रण समिति में पेश करना होगा.
स्कूल नहीं तय करेंगे किताब और ड्रेस की दुकान
अब निजी स्कूल यह तय नहीं कर सकते कि अभिभावक किताबें और ड्रेस किस दुकान से खरीदें. पहले कई शिकायतें सामने आई थीं कि कुछ स्कूल संचालक खास दुकानों से ही खरीदारी करवाने का दबाव बनाते हैं. नए निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि स्कूल संचालक किसी एक दुकान का नाम नहीं बता सकते और अभिभावकों को खुली छूट होगी कि वे जहां चाहें. वहां से खरीददारी करें.
NCERT और SCERT की किताबें अनिवार्य
कक्षा 1 से 12वीं तक अब केवल NCERT और SCERT द्वारा प्रकाशित किताबों को ही स्कूलों में मान्यता मिलेगी. अगर कोई स्कूल इसके अलावा कोई और पुस्तकें लागू करना चाहता है, तो उसके लिए एक नियम तय किया गया है. प्राचार्य और प्रबंधक के संयुक्त हस्ताक्षर के साथ संबंधित पुस्तकों की सूची स्कूल की आधिकारिक वेबसाइट पर समय रहते अपलोड करनी होगी.
नियमों का उल्लंघन करने पर होगी मान्यता रद्द
शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि अगर कोई स्कूल इन नियमों का पालन नहीं करता या फिर फीस, किताबों और गणवेश को लेकर मनमानी करता है, तो उस स्कूल की मान्यता सीधे तौर पर रद्द कर दी जाएगी. इन मामलों में कोई छूट नहीं दी जाएगी. जिला शिक्षा अधिकारी ने इन निर्देशों की कॉपी सभी निजी स्कूलों के संचालकों और प्राचार्यों को भेज दी है.
299 प्राइवेट स्कूलों पर नजर
जिले में फिलहाल 299 निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं. जिनमें से 237 स्कूलों में RTE (Right to Education) के तहत बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जा रही है. इन स्कूलों को लेकर फीस, ड्रेस और किताबों को लेकर लंबे समय से लगातार शिकायतें आ रही थीं. इसी को ध्यान में रखते हुए जिला शिक्षा अधिकारी ने सख्ती बरतते हुए यह बड़ा कदम उठाया है.
शिक्षा अधिकारी ने बुलाई बैठक
जिला शिक्षा अधिकारी ने निजी स्कूल संचालकों की एक बैठक बुलाई और पांच अहम एजेंडों पर खुलकर चर्चा की. ये एजेंडे थे:
- पुस्तक और गणवेश से जुड़ी मनमानी रोकना
- शैक्षणिक सत्र 2025-26 में ली जाने वाली फीस का निर्धारण
- नई शिक्षा नीति (NEP 2020) का पालन सुनिश्चित करना
- स्कूलों की मान्यता और संबद्धता की स्थिति की समीक्षा
- नियमित स्कूल निरीक्षण की योजना
इन सभी बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई और साफ किया गया कि किसी भी तरह की गड़बड़ी बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
स्कूलों की वेबसाइट पर अपलोड करनी होगी सभी जानकारी
नई व्यवस्था के तहत स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे अपनी वेबसाइट पर हर जानकारी पारदर्शिता के साथ साझा करें. चाहे वह किताबों की सूची हो, फीस संरचना हो, यूनिफॉर्म की जानकारी हो या किसी भी अन्य विषय पर बदलाव हो, उसे स्कूल की वेबसाइट पर समय पर अपडेट करना जरूरी होगा. इससे अभिभावकों को पूरी जानकारी मिलेगी और कोई भ्रम नहीं रहेगा.
पालकों को मिलेगी राहत, शिक्षा में पारदर्शिता बढ़ेगी
इन नए नियमों से न सिर्फ अभिभावकों को राहत मिलेगी. बल्कि स्कूलों के भीतर शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही भी बढ़ेगी. लंबे समय से अभिभावकों की ओर से यह मांग की जा रही थी कि स्कूल फीस बढ़ाने और किताबें/ड्रेस की दुकानें थोपने जैसी मनमानी पर लगाम लगाई जाए.
दोषी पाए जाने पर एफआईआर और कार्रवाई की चेतावनी
जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा है कि अगर किसी स्कूल के खिलाफ पालकों की तरफ से शिकायत मिलती है और जांच में दोष सिद्ध होता है, तो स्कूल संचालक के खिलाफ FIR दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी. इससे पहले भी राज्य के कई जिलों में IDFC बैंक और निजी स्कूल संचालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है, जो कि एक उदाहरण है.