Free Ration Distribution: प्रदेश में डिपो संचालकों ने सरकार और खाद्य आपूर्ति विभाग को 30 अप्रैल तक का समय दिया था कि डिपो पर लगी पीओएस (POS) मशीनों के लिए विभाग खुद इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराए. लेकिन सरकार और विभाग ने इस पर कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की. अब डिपो संचालकों ने सर्वसम्मति से फैसला लिया है कि 1 मई से वे अपनी निजी इंटरनेट सेवा (हॉटस्पॉट या वाई-फाई) से पीओएस मशीनें नहीं चलाएंगे और राशन वितरण का काम भी रोक देंगे.
बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के पीओएस मशीनें रहेंगी बंद
डिपो संचालकों ने साफ कर दिया है कि जब तक विभाग खुद पीओएस मशीनों के लिए इंटरनेट और नई सिम कार्ड की सुविधा नहीं देगा. तब तक मशीनें बंद रहेंगी. संचालकों का कहना है कि विभाग द्वारा लगाई गई मशीनों को चलाने की जिम्मेदारी भी विभाग की ही है. वर्षों से डिपो संचालक अपनी जेब से इंटरनेट खर्च उठाकर विभाग का काम चला रहे थे. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
सरकार और विभाग पर लापरवाही का आरोप
प्रदेश डिपो संचालक समिति के प्रदेश अध्यक्ष अशोक कवि ने बताया कि समिति ने समय रहते विभाग और सरकार को लिखित में अल्टीमेटम दिया था. इसके बावजूद न तो कोई समाधान निकाला गया और न ही समिति से वार्ता के लिए बुलाया गया. संचालकों का आरोप है कि विभाग ने उनकी समस्याओं को हल्के में लिया और लगातार अनदेखी की.
उच्च न्यायालय जाने की भी चेतावनी
अशोक कवि ने कहा कि यदि डिपो संचालकों पर किसी प्रकार का दबाव बनाया गया या कोई दंडात्मक कार्रवाई की गई, तो समिति माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने से पीछे नहीं हटेगी. उन्होंने सभी डिपो संचालकों से अपील की है कि वे समिति के निर्णय का पालन करें और बिना किसी भय के एकजुट होकर अपनी मांगों के लिए खड़े रहें.
वर्षों से निजी इंटरनेट से चला रहे थे विभागीय काम
डिपो संचालकों ने बताया कि वे कई वर्षों से अपने निजी इंटरनेट कनेक्शन से विभाग की पीओएस मशीनें चला रहे थे. पीओएस मशीनों में कोई सिम कार्ड नहीं लगाया गया था. जिससे मशीनों को चलाने के लिए डिपो संचालकों को मजबूरी में अपना डेटा खर्च करना पड़ रहा था. इस बीच विभाग ने न तो मशीनों की मरम्मत करवाई और न ही कनेक्टिविटी का स्थायी समाधान निकाला.
कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
प्रदेश डिपो संचालक समिति ने कांग्रेस सरकार पर भी वादाखिलाफी का आरोप लगाया है. अशोक कवि ने कहा कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने घोषणा पत्र में वादा किया था कि डिपो संचालकों को ₹20,000 मासिक वेतन दिया जाएगा और वन टाइम लाइसेंस की सुविधा दी जाएगी. लेकिन अढ़ाई साल बीतने के बावजूद सरकार ने कोई भी वादा पूरा नहीं किया. इससे डिपो संचालकों में गहरी नाराजगी है.
डिपो संचालकों की मजबूरी बनी आंदोलन की वजह
डिपो संचालकों का कहना है कि वे वर्षों से अपनी मेहनत और संसाधनों से विभाग का काम चला रहे हैं. लेकिन जब उनकी समस्याओं की सुनवाई नहीं हो रही है, तो अब आंदोलन करना उनकी मजबूरी बन गई है. संचालकों ने साफ किया कि वे अपने हक की लड़ाई पूरी ताकत से लड़ेंगे और इस बार पीछे नहीं हटेंगे.
राशन वितरण पर पड़ेगा सीधा असर
डिपो संचालकों द्वारा अपनी इंटरनेट सेवा बंद करने के फैसले का सीधा असर आम जनता पर भी पड़ेगा. यदि पीओएस मशीनें बंद रहीं तो राशन वितरण का कार्य बाधित हो जाएगा. इससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों को समय पर राशन नहीं मिल पाएगा. सरकार और विभाग को इस स्थिति से निपटने के लिए जल्द से जल्द कोई समाधान निकालना होगा.
समिति की अपील
प्रदेश डिपो संचालक समिति ने प्रदेश भर के सभी डिपो धारकों से अपील की है कि वे समिति के निर्णय का समर्थन करें और एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई लड़ें. समिति ने भरोसा जताया है कि यदि सभी संचालक एकमत होकर इस निर्णय का पालन करेंगे तो सरकार को उनकी मांगों पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा.