Most Expensive Dust: जब हम किसी भी जगह की धूल की बात करते हैं तो हमें उसकी कीमत आम लगती है पर क्या आप ये बात जानते हैं कि धरती पर एक जगह ऐसी भी है जहां की धूल की कीमत लाखों में है. बता दें कि चीन ने ये धूल UK को भेजी थी जो कि अब हाई-सिक्योरिटी लैब में बंद है.
चांद की धूल एक बेशकीमती खजाना
अक्सर धूल को बेकार समझा जाता है, लेकिन चांद की मिट्टी एक ऐसी धूल है जिसकी कीमत लाखों में आंकी जा रही है. चीन ने हाल ही में इसे यूनाइटेड किंगडम भेजा है. जहां इसे हाई-सिक्योरिटी लैब में सुरक्षित रखा गया है. यह धूल सिर्फ कणों का ढेर नहीं. बल्कि ब्रह्मांड की अरबों साल पुरानी कहानी अपने भीतर समेटे हुए है.
सोने से भी कीमती हैं चांद के कण
चीन ने यह धूल अपने चांग’ए-5 मिशन के माध्यम से चांद से इकट्ठा की थी. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह धूल सोने से भी अधिक कीमती है. इस समय यह धूल मिल्टन कीन्स (UK) स्थित ओपन यूनिवर्सिटी की हाई-सिक्योरिटी लैब में रखी गई है. जहां इसे हर संभावित संदूषण से बचाने के लिए विशेष सावधानियां बरती जा रही हैं.
अंतरिक्ष मिशन और चांद की मिट्टी का सफर
चांग’ए-5 मिशन ने चांद के एक ज्वालामुखीय क्षेत्र मॉन्स रूमकर पर लैंड किया था. वहां एक रोबोटिक आर्म की मदद से लगभग 2 किलोग्राम चंद्र मिट्टी और चट्टानों को इकट्ठा किया गया. इसके बाद यह नमूना एक विशेष कैप्सूल में बंद करके सुरक्षित रूप से धरती पर लाया गया.
4.5 अरब साल पुराने रहस्यों की चाबी
इन धूल कणों में ब्रह्मांड की उत्पत्ति और चांद के बनने की कहानी छिपी है. वैज्ञानिकों का मानना है कि धरती और एक मंगल जैसे ग्रह की टक्कर से जो मलबा निकला था. वही मिलकर चांद का निर्माण बना. अब इन कणों के विश्लेषण से उस टक्कर के प्रमाण और धरती के शुरुआती वर्षों की जानकारी प्राप्त हो सकती है.
वैज्ञानिकों को मिला विशेष मौका
चीन ने पहली बार 7 अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं को चांद की धूल के नमूनों तक पहुंच दी है. बीजिंग में आयोजित एक विशेष समारोह में प्रोफेसर आनंद को यह कीमती नमूना सौंपा गया. इस समारोह में रूस, जापान, पाकिस्तान और यूरोप के वैज्ञानिक भी शामिल हुए.
रिसर्च से खुलेंगे चांद के रहस्य
प्रोफेसर आनंद की टीम को 60 मिलीग्राम चांद की धूल मिली है. दिखने में भले ही यह मात्रा कम हो, लेकिन माइक्रोस्कोपिक लेवल पर रिसर्च करने वाली टीम के लिए यह सालों तक शोध का विषय बन सकती है. वैज्ञानिक इसे पीसकर और लेज़र से स्कैन करके सूक्ष्मतम जानकारी जुटाने की योजना बना रहे हैं.
सुरक्षा व्यवस्था के अभूतपूर्व इंतजाम
मिल्टन कीन्स की हाई-सिक्योरिटी लैब में चांद की धूल को इस तरह संरक्षित किया गया है कि धरती का कोई भी कण उसमें न मिल सके. वहां स्टिकी मैट, प्लास्टिक दस्ताने, गाउन, हेयरनेट और हुड जैसे सुरक्षा उपायों के साथ काम किया जा रहा है. एक छोटी सी गड़बड़ी भी शोध को बर्बाद कर सकती है.
आगे क्या होगा इस कीमती धूल का?
प्रोफेसर आनंद और उनकी टीम को इस धूल पर 1 साल तक रिसर्च की अनुमति दी गई है. संभव है कि शोध प्रक्रिया में यह नमूना नष्ट हो जाए. लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह बलिदान वैज्ञानिक खोज के लिए जरूरी है. उनका यह भी कहना है कि यह प्रक्रिया चीन और अंतरराष्ट्रीय विज्ञान समुदाय के बीच सहयोग की नई शुरुआत साबित होगी.