School Recognition Rules: राज्य सरकार ने निजी विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत करने के लिए बड़ा कदम उठाया है. अब राज्य के करीब 40 हजार निजी विद्यालयों को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के मानकों को पूरा करना अनिवार्य होगा. तभी उन्हें मान्यता दी जाएगी. स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में यह एक बड़ी पहल मानी जा रही है.
सभी निजी स्कूलों को लेना होगा पंजीकरण
शिक्षा विभाग ने पिछले साल निजी विद्यालयों से ऑनलाइन माध्यम से मान्यता के लिए आवेदन मांगे थे. इसमें 23,456 स्कूलों ने आवेदन किया था. अब विभाग ने इन विद्यालयों की पढ़ाई और इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच कराने का निर्णय लिया है.
राज्य सरकार करेगी इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच
केंद्र सरकार ने सीबीएसई से मान्यता पाने वाले स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच की जिम्मेदारी अब राज्य सरकार पर छोड़ दी है. इसके चलते राज्य के शिक्षा विभाग ने हर जिले में निरीक्षण कराने की योजना बनाई है. इस जांच के लिए संबंधित जिलों में अधिकारियों की टीम बनाई जाएगी, जिसका नेतृत्व जिलाधिकारी या उप विकास आयुक्त करेंगे. इस टीम में जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) भी शामिल होंगे.
मान्यता के लिए लेना होगा अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC)
CBSE मान्यता प्रक्रिया के तहत, प्रत्येक निजी स्कूल को जिला शिक्षा अधिकारी से NOC लेना अनिवार्य होगा. इसके बाद ही स्कूल सीबीएसई से मान्यता के लिए आवेदन कर सकते हैं.
पारदर्शी होगी पूरी प्रक्रिया, रिपोर्ट होगी ऑनलाइन
शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अब तक CBSE और राज्य, दोनों संस्थाएं स्कूलों की जांच करती थीं, जिससे पूरी प्रक्रिया में कई साल लग जाते थे. लेकिन अब CBSE केवल शैक्षणिक गुणवत्ता और लर्निंग आउटकम पर फोकस करेगी, जबकि इंफ्रास्ट्रक्चर की जांच राज्य सरकार करेगी. जांच की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी और इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक पोर्टल पर ऑनलाइन जारी की जाएगी.
CBSE अब किन चीजों पर देगा ध्यान?
नई व्यवस्था के तहत CBSE निम्नलिखित बातों की जांच करेगा:
- शिक्षकों की योग्यता और प्रशिक्षण
- उनके वेतन और कार्यदशा
- प्रयोगशाला, पुस्तकालय और अन्य शैक्षणिक संसाधन
- छात्रों की सीखने की क्षमता (लर्निंग आउटकम)
- वर्तमान कक्षा का पाठ्यक्रम समझ में आ रहा है या नहीं
अच्छी शिक्षा देने वाले स्कूलों की होगी पहचान
शिक्षा विभाग के अनुसार, अब मान्यता केवल भवन या सुविधाओं के आधार पर नहीं, बल्कि स्कूलों की शिक्षण पद्धति, शिक्षक स्तर और छात्रों की प्रगति को देखकर दी जाएगी. इसका मकसद है कि अभिभावकों को यह समझ में आए कि कौन सा स्कूल बच्चों के लिए उपयुक्त है और वहां गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलती है. इससे अच्छे स्कूलों की पहचान भी आसान होगी.
मान्यता मिलने के बाद भी होगी निगरानी
जांच और मान्यता मिलने के बाद भी स्कूलों की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी. यदि कोई विद्यालय सरकारी निर्देशों का पालन नहीं करता, तो उसकी मान्यता रद्द की जा सकती है. यह कदम न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने के लिए. बल्कि निजी स्कूलों को जवाबदेह बनाने के लिए भी उठाया गया है.check-rules