Revised Notification: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में स्पष्ट कर दिया है कि सामाजिक-आर्थिक मानदंड (Socio-Economic Criteria) के तहत दिए जाने वाले बोनस अंकों को रद्द करने का जो फैसला 2024 में लिया गया था. वह केवल भविष्य की भर्तियों पर लागू होगा. कोर्ट ने यह साफ किया कि इसका किसी भी पुराने चयन या वरिष्ठता सूची पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह फैसला हाईकोर्ट की खंडपीठ comprising जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस मीनाक्षी आई. मेहता ने सुनाया. कोर्ट के इस निर्णय से उन हजारों अभ्यर्थियों को राहत मिली है, जो साल 2018 से लेकर 2022 के बीच विभिन्न सरकारी भर्तियों में चयनित हुए थे.
किस याचिका पर आया यह फैसला?
यह फैसला एक याचिका पर सुनवाई के बाद आया. जिसमें याचिकाकर्ता ने वर्ष 2018 की भर्ती विज्ञप्ति के तहत तैयार की गई वरिष्ठता सूची (Seniority List) में संशोधन की मांग की थी. याचिकाकर्ता की ओर से यह दलील दी गई थी कि ‘सुकृति मलिक बनाम हरियाणा राज्य’ मामले में जो फैसला 2024 में दिया गया, उसे 2018 की भर्ती पर भी लागू किया जाए. उनका तर्क था कि सामाजिक-आर्थिक मानदंड के आधार पर दिए गए बोनस अंक अनुचित हैं और इन्हें पूर्व प्रभाव (retrospective effect) से रद्द किया जाना चाहिए.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील क्यों ठुकराई?
खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की दलील को ठुकराते हुए कहा कि सुकृति मलिक केस में जो निर्णय दिया गया है. वह भले ही भविष्य के लिए मार्गदर्शक (precedent) हो. लेकिन इसे पूर्ववर्ती भर्तियों पर लागू नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने यह भी कहा कि 2018 की भर्ती प्रक्रिया के दौरान जो नियम और अधिसूचनाएं लागू थीं. उनमें सामाजिक-आर्थिक मानदंड को मान्यता दी गई थी और उसी के अनुसार चयन किया गया था. इसलिए अब पुराने मामलों को पलटना न्यायसंगत नहीं होगा. क्योंकि इससे चयनित अभ्यर्थियों के अधिकार प्रभावित होंगे और पहले से दी गई नौकरियों पर असमंजस पैदा होगा.
2022 की अधिसूचना को बताया अहम आधार
कोर्ट ने साफ किया कि बोनस अंकों से जुड़े नए नियम 5 मई 2022 से प्रभावी माने जाएंगे. क्योंकि इसी तारीख को संशोधित अधिसूचना (Revised Notification) लागू हुई थी. इससे पहले की भर्ती प्रक्रियाओं में कोई बदलाव नहीं होगा और उन्हें उसी आधार पर वैध माना जाएगा. जिस पर वे मूल रूप से की गई थीं. इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि सरकार द्वारा भविष्य में सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंक नहीं दिए जाएंगे. लेकिन जो भर्तियां पहले हो चुकी हैं. उन्हें चुनौती नहीं दी जा सकती.
हजारों चयनित अभ्यर्थियों को मिली राहत
कोर्ट के इस फैसले से उन हजारों युवाओं को बड़ी राहत मिली है, जो 2018 से 2022 के बीच विभिन्न पदों पर चयनित हुए हैं. यदि यह फैसला पूर्व प्रभाव से लागू होता, तो कई नियुक्तियां रद्द हो सकती थीं और वरिष्ठता सूची में बदलाव से योग्य अभ्यर्थी पीछे हो सकते थे. अब उनके भविष्य और नियुक्तियों पर कोई संकट नहीं आएगा और वे बिना किसी डर के अपनी सेवा जारी रख सकेंगे.
‘सुकृति मलिक केस’ का क्या था विवाद?
इस केस में सवाल यह उठाया गया था कि क्या सामाजिक-आर्थिक मानदंड के तहत दिए गए बोनस अंक, समान अवसर की भावना के विरुद्ध हैं? याचिकाकर्ता ने इसे अनुचित लाभ बताया और अदालत से इन्हें हटाने की मांग की. कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह माना कि भविष्य में ऐसी नीति को लागू नहीं किया जाना चाहिए. क्योंकि इससे योग्यता आधारित चयन प्रणाली कमजोर होती है. हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि यह फैसला केवल आगे की भर्तियों के लिए मार्गदर्शक होगा और इससे पहले की नियुक्तियों को किसी भी हालत में रद्द नहीं किया जाएगा.