Driving Licence: हरियाणा के एक ऑटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट सेंटर में चल रही भ्रष्टाचार और दलाली की गतिविधियों को खत्म करने के लिए आर.टी.ओ. विभाग ने बड़ा कदम उठाया है. हाल ही में विजीलेंस विभाग ने सेंटर में छापेमारी की. जिसके बाद सिस्टम में कई अहम बदलाव किए गए हैं.
अब से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए सेंटर में आने वाले केवल वही व्यक्ति प्रवेश कर सकेंगे जो आवेदक हों. एजेंटों या किसी अन्य बाहरी व्यक्ति की एंट्री पूरी तरह से बंद कर दी गई है. इस निर्णय का उद्देश्य भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना और लाइसेंस प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना है.
एजेंटों की सेंटर में एंट्री पर पूरी तरह रोक
लंबे समय से शिकायतें आ रही थीं कि सेंटर के बाहर दर्जनों एजेंट सक्रिय रहते हैं जो लोगों को यह कहकर गुमराह करते हैं कि वो ड्राइविंग टेस्ट पास कराने या लाइसेंस जल्दी दिलाने में मदद कर सकते हैं. इसके बदले वे मोटी रकम वसूलते थे और दावा करते थे कि उनका “अंदर सेटिंग” है.
अब आर.टी.ओ. के निर्देश पर सेंटर के बाहर एक कर्मचारी की ड्यूटी लगाई गई है जो हर आने वाले आवेदक का नाम मोबाइल नंबर और एप्लीकेशन नंबर एक रजिस्टर में दर्ज करता है. इसी आधार पर ही व्यक्ति को सेंटर में प्रवेश दिया जाएगा.
सख्ती के बाद एजेंटों का दखल हुआ खत्म
अब तक सेंटर के बाहर रोजाना 10 से 15 प्राइवेट एजेंट मौजूद रहते थे जो बिना किसी वैध अधिकार के आवेदकों से संपर्क करते थे. ये एजेंट ड्राइविंग टेस्ट में पास करवाने लाइसेंस अप्रूवल और जल्द प्रोसेसिंग के नाम पर पैसों की मांग करते थे.
अब इन एजेंटों की एंट्री पूरी तरह बंद कर दी गई है. केवल वही व्यक्ति सेंटर में प्रवेश कर सकेगा जिसकी आवेदन प्रक्रिया चल रही हो. इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी दलाल आवेदकों को गुमराह नहीं कर सकेगा और न ही सिस्टम को प्रभावित कर सकेगा.
स्टाफ के मोबाइल भी ड्यूटी टाइम में होंगे बैन
सिस्टम को पूरी तरह से पारदर्शी बनाने के लिए एक और सख्त कदम उठाया गया है. ए.आर.टी.ओ. विशाल गोयल ने निर्देश दिए हैं कि अब सेंटर में तैनात सभी कर्मचारियों को ड्यूटी टाइम में मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा.
इसके लिए सभी स्टाफ से उनके मोबाइल जमा करा लिए गए हैं. ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि अक्सर शिकायतें मिलती थीं कि स्टाफ और एजेंटों के बीच व्हाट्सएप या कॉल के जरिए संपर्क बना रहता है जिससे दलाली को बढ़ावा मिलता है.
अब हर आवेदक को मिलेगा समान मौका
ए.आर.टी.ओ. का कहना है कि इन कदमों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी आवेदक ठगा न जाए और हर किसी को लाइसेंस प्रक्रिया में बराबरी का मौका मिले. उन्होंने कहा कि जो शिकायतें पहले मिल रही थीं – जैसे कि किसी खास एजेंट के माध्यम से जाने पर टेस्ट पास हो जाना या जल्दी नंबर लगना अब ऐसा नहीं होगा.
अब पूरा सिस्टम डिजिटल और पारदर्शी प्रक्रिया के तहत चलेगा जिसमें किसी भी तरह की सिफारिश या सेटिंग की कोई गुंजाइश नहीं होगी.
आवेदनकर्ता खुद बनाएं आवेदन
अक्सर देखा गया है कि अनपढ़ या तकनीक से अनजान लोग एजेंटों का सहारा लेते हैं जो उनका काम करने का वादा करके उनसे मोटी फीस वसूलते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि आज ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना बहुत ही सरल और ऑनलाइन प्रोसेस है.
लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे स्वयं ही आवेदन करें और RTO की आधिकारिक वेबसाइट या पोर्टल का इस्तेमाल करें. इससे न सिर्फ उनका पैसा बचेगा बल्कि वो पूरी प्रक्रिया को खुद समझ पाएंगे.
पारदर्शिता के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा
RTO विभाग अब पूरी तरह से प्रयास कर रहा है कि ड्राइविंग टेस्ट प्रक्रिया फुली ऑटोमेटेड और निष्पक्ष हो. इसके लिए तकनीकी उपाय जैसे कि सीसीटीवी निगरानी डिजिटल स्कोरिंग सिस्टम ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और लाइव मॉनिटरिंग का इस्तेमाल किया जा रहा है.
इन तकनीकी उपायों से यह तय होगा कि किसी आवेदक के साथ भेदभाव न हो और ड्राइविंग टेस्ट में फेल या पास होने का निर्णय केवल उसके प्रदर्शन के आधार पर हो न कि किसी एजेंट की सिफारिश पर.