Contract Employee: हरियाणा सरकार ने राज्य के कच्चे और अनुबंध पर कार्यरत कर्मचारियों के हित में एक बड़ा और राहत भरा फैसला लिया है. सरकार ने साफ किया है कि 20 जुलाई से 3 अगस्त 2023 तक चली हड़ताल में शामिल हुए कर्मचारियों को भले ही हड़ताल के दिनों के लिए वेतन नहीं मिलेगा लेकिन इस हड़ताल का उनके सेवा कार्यकाल और भविष्य की स्थिरता पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा.
यह फैसला खासतौर पर उन कर्मचारियों के लिए बेहद फायदेमंद है जो हरियाणा के विभिन्न विभागों बोर्ड-निगमों और सरकारी कंपनियों में अनुबंध पर काम कर रहे हैं और जिन्हें 240 दिनों की सेवाएं पूरी करनी होती हैं ताकि उनकी नियुक्ति नियमित सेवा के दायरे में आ सके.
मानव संसाधन विभाग ने जारी किए निर्देश
हरियाणा सरकार के मानव संसाधन विभाग की ओर से इस संबंध में एक अहम आदेश जारी किया गया है. यह आदेश राज्य के सभी प्रशासनिक सचिवों विभागाध्यक्षों बोर्ड-निगमों के प्रमुखों यूनिवर्सिटी रजिस्ट्रार हाई कोर्ट रजिस्ट्रार मंडलायुक्तों उपायुक्तों एसडीएम सहित अन्य सभी संबंधित अधिकारियों को भेजा गया है.
इस आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि हड़ताल के दौरान भले ही किसी भी प्रकार का पारिश्रमिक (वेतन) न दिया जाए लेकिन इन दिनों को कर्मचारियों के सेवा रिकॉर्ड से हटाया नहीं जाएगा जिससे उनकी 240 दिन की न्यूनतम सेवा पूरी मानी जाएगी.
HKRN कर्मचारियों को सबसे ज्यादा लाभ
इस निर्णय से सबसे ज्यादा फायदा हरियाणा कौशल रोजगार निगम (HKRN) के तहत काम करने वाले उन कच्चे कर्मचारियों को होगा जिनका सालाना 240 दिन का सेवा लक्ष्य हड़ताल के कारण अधूरा रह सकता था.
HKRN के तहत कार्यरत कर्मचारियों की सेवाओं को नियमित और सेवानिवृत्ति तक सुरक्षित करने के लिए यह एक अहम शर्त होती है कि उन्होंने हर साल कम से कम 240 दिन कार्य किया हो. अब सरकार ने साफ कर दिया है कि हड़ताल के दिन उनकी सेवा गणना से बाहर नहीं होंगे यानी उनका रिकॉर्ड सुरक्षित रहेगा.
सैनी सरकार पहले ही दे चुकी है सेवा सुरक्षा का आश्वासन
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पहले ही यह घोषणा कर चुके हैं कि पांच साल से अधिक समय से काम कर रहे कच्चे कर्मचारियों की सेवाओं को उनकी सेवानिवृत्ति की आयु तक सुरक्षित किया जाएगा यदि उन्होंने हर साल 240 दिन कार्य किया हो.
यह फैसला पहले से ही लागू किया जा चुका है और अब हड़ताल के दिनों को भी सेवा के हिस्से में गिनने का निर्देश जारी कर सरकार ने इन कर्मचारियों को और बड़ी राहत दी है.
हड़ताल के बावजूद नहीं होगा सेवा में विघ्न
सरकार के इस कदम से यह स्पष्ट हो गया है कि हड़ताल करना अब सेवा में बाधा नहीं बनेगा. कर्मचारियों को अब यह डर नहीं रहेगा कि हड़ताल में शामिल होने से उनका सेवा रिकॉर्ड प्रभावित होगा या उन्हें भविष्य में नुकसान उठाना पड़ेगा.
हालांकि वेतन नहीं दिए जाने की शर्त के तहत यह भी स्पष्ट है कि सिर्फ सेवा सुरक्षा दी जाएगी लेकिन उन दिनों का वेतन उन्हें नहीं मिलेगा.
राजनीतिक नजरिए से भी अहम मानी जा रही यह घोषणा
सैनी सरकार का यह फैसला न सिर्फ प्रशासनिक दृष्टि से अहम है बल्कि राजनीतिक रूप से भी रणनीतिक माना जा रहा है. राज्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं और भाजपा नेतृत्व वाली सरकार यह दिखाना चाहती है कि वह कर्मचारी हितैषी और संवेदनशील प्रशासन दे रही है.
इस फैसले से लाखों कच्चे कर्मचारी जो लंबे समय से नियमितीकरण की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे थे उन्हें भरोसा मिलेगा कि सरकार उनके साथ खड़ी है.
कर्मचारी संगठनों ने किया फैसले का स्वागत
राज्य के विभिन्न कर्मचारी संगठनों और यूनियनों ने सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है. संगठनों का कहना है कि यह फैसला कच्चे कर्मचारियों के मन में स्थायित्व का विश्वास पैदा करेगा और उन्हें अपने भविष्य को लेकर एक नई उम्मीद देगा.
हालांकि कुछ संगठनों ने यह भी मांग रखी है कि सिर्फ सेवा की सुरक्षा नहीं बल्कि वेतन कटौती के निर्णय पर भी पुनर्विचार किया जाए ताकि कर्मचारियों को पूरी राहत मिल सके.