Private School Notice: शिक्षा के अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत हर निजी स्कूल को अपनी 25 प्रतिशत सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं. लेकिन जिले के करीब 364 निजी स्कूलों ने अब तक इस नियम का पालन नहीं किया है. इन स्कूलों ने बार-बार निर्देश मिलने के बावजूद उज्ज्वल पोर्टल पर जरूरी जानकारी साझा नहीं की. जिसके चलते अब शिक्षा विभाग ने इन्हें नोटिस भेजकर जवाब माँगा है.
25 अप्रैल तक जवाब देने का अंतिम मौका
मौलिक शिक्षा निदेशालय ने 18 अप्रैल को इन 364 स्कूलों को कारण बताओ नोटिस जारी किया. स्कूलों को 25 अप्रैल तक जवाब देने का समय दिया गया है. जिला शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को ईमेल भेजकर सूचित कर दिया है. यदि निर्धारित समय में संतोषजनक जवाब नहीं आता, तो संबंधित स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. अधिकारियों का कहना है कि स्कूलों के जवाबों की समीक्षा के बाद ही अगली कार्रवाई तय होगी.
नियम तोड़ने वाले स्कूलों की होगी सख्त जांच
जिन स्कूलों ने अब तक जवाब नहीं दिया है या जिनके जवाब संतोषजनक नहीं हैं. उनके खिलाफ मौलिक शिक्षा निदेशालय सख्त कार्रवाई करने के मूड में है. शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि आरटीई के नियमों का उल्लंघन करने वाले स्कूलों को बख्शा नहीं जाएगा. अगले सप्ताह उन स्कूलों की अलग से सूची जारी की जाएगी जो अब भी जानकारी देने में असफल रहे हैं.
आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया में देरी से परेशान अभिभावक
स्कूलों की लापरवाही का असर सीधे तौर पर अभिभावकों पर पड़ रहा है. शुक्रवार को बड़ी संख्या में अभिभावक अपने बच्चों के दस्तावेज लेकर जिला शिक्षा कार्यालय पहुंचे. लेकिन प्रक्रिया में देरी के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा. कई अभिभावकों ने बताया कि उन्होंने समय से ऑनलाइन आवेदन किया था. लेकिन स्कूलों द्वारा जानकारी न देने के कारण अब तक प्रवेश प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है.
आवेदन की तारीख बढ़ी, फिर भी अभिभावकों को राहत नहीं
स्कूलों की सुस्ती को देखते हुए प्रारंभिक शिक्षा निदेशालय ने आरटीई आवेदन की आखिरी तारीख 21 अप्रैल से बढ़ाकर 25 अप्रैल कर दी थी. इसके बावजूद हालात ज्यादा नहीं बदले हैं. आवेदन के बाद भी अब तक कई अभिभावकों को स्कूलों से कोई स्पष्ट सूचना नहीं मिली है. इससे परिवारों में निराशा का माहौल है. खासकर उन लोगों में जो अपने बच्चों को आरटीई के तहत पढ़ाना चाहते हैं.
स्कूलों का रवैया सवालों के घेरे में
आरटीई के तहत मान्यता प्राप्त सभी निजी स्कूलों को अपनी 25 फीसदी सीटों की जानकारी उज्ज्वल पोर्टल पर अनिवार्य रूप से देनी थी. लेकिन कई स्कूलों ने या तो जानबूझकर जानकारी नहीं दी या प्रक्रिया में ढिलाई बरती. इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या निजी स्कूल आरटीई के तहत गरीब बच्चों को प्रवेश देने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं? शिक्षा विभाग इस पूरे मामले पर बारीकी से नजर बनाए हुए है और दोषी स्कूलों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है.
पहली सूची अगले सप्ताह होगी जारी
अधिकारियों ने जानकारी दी है कि जिन स्कूलों में सीटों से अधिक आवेदन आए हैं. वहां जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मौजूदगी में ड्रॉ निकाला जाएगा. इस प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सभी अभिभावकों को भी सूचना दी जाएगी. जिन बच्चों का नाम ड्रॉ में आएगा, उन्हें प्रवेश दिया जाएगा. प्रवेश की इस प्रक्रिया को लेकर भी शिक्षा विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है.
शिक्षा विभाग का सख्त संदेश
जिला शिक्षा अधिकारी अजीत सिंह ने स्पष्ट किया है कि आरटीई कानून का पालन करना सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के लिए अनिवार्य है. कोई भी स्कूल 25 फीसदी सीटों पर प्रवेश देने से मना नहीं कर सकता. जिन स्कूलों ने जानकारी साझा नहीं की है, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. शिक्षा विभाग ने साफ किया है कि हर बच्चे को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.