हाइवे पर गाड़ी लेकर निकलते है तो सावधान, डॉक्युमेंट पूरे नही हुए तो ऑनलाइन कट जाएगा चालान Toll Plaza E Challan

Toll Plaza E Challan: अगर आपकी गाड़ी के फिटनेस सर्टिफिकेट, बीमा पॉलिसी या प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (PUC) की वैधता समाप्त हो चुकी है, तो अब हाईवे पर निकलना भारी पड़ सकता है. बिहार के 31 टोल प्लाजा पर लगे ई-डिटेक्शन कैमरे बिना रुके गाड़ियों की जांच कर रहे हैं और दस्तावेज फेल होने पर सीधा ई-चालान काट रहे हैं. बीते 8 महीनों में डेढ़ लाख से ज्यादा चालान काटे जा चुके हैं. जिससे सरकार को 80 करोड़ रुपये की वसूली हुई है.

कैमरे कर रहे हैं रियल-टाइम चालान जेनरेट

बिहार के 32 में से 31 टोल प्लाजा पर हाईटेक ई-डिटेक्शन सिस्टम लगाए गए हैं, जो वाहन गुजरते ही उसके नंबर प्लेट को स्कैन करके सिस्टम से डॉक्यूमेंट चेक करते हैं. अगर कोई दस्तावेज एक्सपायर होता है, तो उसी वक्त ऑनलाइन चालान जनरेट हो जाता है. इस जानकारी की पुष्टि परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से की.

फिटनेस, बीमा और PUC फेल होने पर कितना भरना होगा जुर्माना?

परिवहन विभाग के अनुसार मोटर वाहन अधिनियम के तहत फिटनेस सर्टिफिकेट फेल होने पर ₹5000 तक का जुर्माना लगता है. बीमा सर्टिफिकेट एक्सपायर हो तो ₹2000 का फाइन तय है. वहीं प्रदूषण प्रमाणपत्र (PUC) न होने पर पहली बार में ही:

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  • मध्यम वाहनों पर ₹1000
  • भारी वाहनों पर ₹3000
  • अन्य वाहनों पर ₹1500 से ₹5000 तक

का चालान किया जा रहा है.

कहां-कहां काटे गए सबसे ज्यादा चालान?

बीते 8 महीनों में 7 अगस्त 2024 से 7 अप्रैल 2025 तक 1.5 लाख चालान जारी किए गए. टोल प्लाजा के आंकड़े चौंकाने वाले हैं:

  • कुल्हारिया टोल प्लाजा (एनएच 922, भोजपुर): 26,000 चालान, ₹12 करोड़ जुर्माना
  • परसोनी खेम टोल प्लाजा (मुजफ्फरपुर, एनएच-28): 15,000 चालान, ₹10 करोड़ जुर्माना
  • सौकला टोल (औरंगाबाद, एनएच-19): 15,000 चालान
  • दीदारगंज टोल (पटना-बख्तियारपुर, एनएच-30): 11,000 चालान
  • हरियाबारा टोल (पूर्णिया-फारबिसगंज, एनएच-57): 10,000 चालान

ई-डिटेक्शन सिस्टम से मिले सुरक्षा और पर्यावरण को दोहरे लाभ

परिवहन विभाग का कहना है कि यह सिस्टम न सिर्फ चालान वसूली के लिए बल्कि सड़क सुरक्षा और पर्यावरण सुधार के लिए भी लागू किया गया है. बिना फिटनेस या प्रदूषण जांच वाली गाड़ियां अक्सर हादसों का कारण बनती हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं. ऐसे वाहनों की पहचान कर सड़क हादसों को कम करने और प्रदूषण पर काबू पाने में मदद मिल रही है.

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