VILLAGE VACATE NOTICE: हरियाणा के कैथल जिले के पोलड़ गांव में इन दिनों गहरी बेचैनी और डर का माहौल है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने गांव खाली करने के आदेश जारी कर दिए हैं, जिससे करीब 8000 ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. 206 परिवारों को नोटिस मिल चुके हैं और बाकी भी भय के साए में जी रहे हैं.
विभाजन के समय बसा था गांव
गांव के निवासी 1947 के भारत-पाक विभाजन के बाद यहां आकर बसे थे. पीढ़ियों से यह गांव आबाद है. लेकिन अब अचानक उन्हें अपने घरों से बेघर किए जाने का खतरा मंडरा रहा है. ग्रामीण बीरबल ने बताया कि उनके पास ज़मीन के दस्तावेज़ नहीं हैं. लेकिन उनका कहना है कि वे 75 वर्षों से यहां रह रहे हैं.
78 एकड़ पर बसा है गांव, ASI कर रहा दावा
पुरातत्व विभाग का दावा है कि गांव की ज़मीन उनके अधीन है और इसी आधार पर नोटिस जारी किए जा रहे हैं. ग्रामीण शशिपाल ने बताया कि विभाग 2005 से नोटिस भेज रहा है. लेकिन मामला लंबे समय तक कोर्ट में लटका रहा. 2018 में ग्रामीणों ने केस दायर किया. लेकिन उनका पक्ष कोर्ट में ढंग से नहीं रखा गया.
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व से जुड़ा है गांव
ग्रामीणों के अनुसार, यह गांव रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोस्थली रहा है और इसी कारण इसका नाम पोलड़ पड़ा. गांव सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ है. जहां पर 1960 में सरस्वती माता का मंदिर भी बनवाया गया था. यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अहम माना जाता है.
वोटर कार्ड, आधार, स्कूल – सब कुछ है, फिर क्यों बेदखली?
ग्रामीणों ने बताया कि गांव में पंचायत है, सरकारी स्कूल है और सभी सरकारी दस्तावेज जैसे वोटर कार्ड, आधार कार्ड, फैमिली आईडी बने हुए हैं. पहले यह ग्राम पंचायत था लेकिन अब इसे सीवन नगर पालिका में शामिल कर दिया गया है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अगर ज़मीन ASI की है तो इतने वर्षों तक सुविधाएं कैसे दी गईं?
दो बार हो चुकी है खुदाई, नहीं मिला कुछ भी
ग्रामीणों के अनुसार, पुरातत्व विभाग ने गांव में दो बार खुदाई करवाई. लेकिन किसी भी प्रकार की ऐतिहासिक वस्तु नहीं मिली. इसके बावजूद अब विभाग एक बार फिर से गांव को खाली करवाने पर अड़ा हुआ है. इससे गांववालों में गहरा असंतोष और चिंता है.
मासूमों की पीड़ा: सपनों का घर टूटने के कगार पर
छोटी बच्ची राजवंती जिसने हाल ही में स्कूल जाना शुरू किया है. राजवंती बताती है कि उसकी मां ने बड़ी मुश्किल से घर बनाया. लेकिन अब उन्हें नोटिस मिला है कि घर खाली करना होगा. पति की मौत के बाद अकेली मां ने घर बनाया था. लेकिन अब वे बेघर होने की कगार पर हैं.
रीना देवी की कहानी
रीना देवी ने बताया कि उनके पति ड्राइवर हैं और वह खुद घरेलू काम कर परिवार पालती हैं. हाल ही में उन्होंने नया घर बनवाया था. लेकिन शिफ्ट होने से पहले ही नोटिस आ गया. उन्होंने कहा कि जो सपने उन्होंने अपने घर को लेकर देखे थे, वह अब टूट रहे हैं.
गांव से देशसेवा तक: भारतीय सेना में कई जवान
ग्रामीणों ने बताया कि गांव से कई लोग भारतीय सेना में कार्यरत हैं. 1965 की लड़ाई में भी गांव के लोग शामिल हुए थे. यह गांव केवल ऐतिहासिक नहीं. बल्कि देशभक्ति से भी जुड़ा हुआ है.
मर जाएंगे, लेकिन गांव नहीं छोड़ेंगे
ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि वे गांव छोड़ने के बजाय मर जाना पसंद करेंगे. उनका कहना है कि उन्होंने जीवन भर की पूंजी इस घर में लगाई है. अब इस उम्र में बेघर होना किसी सजा से कम नहीं.
अगर हटाना है तो दे मकान या ज़मीन
कुछ ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि अगर बेदखल किया ही जाना है, तो उन्हें कहीं और बसाया जाए. उनका कहना है कि उनके बच्चों के सिर से छत न छीनी जाए. सरकार उन्हें वैकल्पिक मकान या ज़मीन उपलब्ध कराए.
प्रशासन ने झाड़ा पल्ला, सांसद से लगाई उम्मीद
जिला उपायुक्त ने कैमरे पर कुछ भी कहने से इनकार किया और कहा कि उनके पास ऐसा कोई नोटिस नहीं आया है. वहीं ग्रामीण कुरुक्षेत्र के सांसद नवीन जिंदल से मिलने पहुंचे हैं ताकि उनके गांव को बचाया जा सके. अब देखना होगा कि सरकार कोई समाधान निकालती है या गांव उजड़ता है.