Unique Wedding Tradition: भारत में बेटियां पिता की लाडली होती हैं. उन्हें “पापा की परी” कहा जाता है और हर पिता उनके लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करता है. लेकिन सोचिए अगर किसी समाज में पिता को ही बेटी का पति बना दिया जाए तो? यह सुनकर हैरानी और असहजता होती है. लेकिन बांग्लादेश की एक जनजाति में यह वास्तव में एक सामाजिक परंपरा रही है.
कहां निभाई जाती है यह अजीब रस्म?
यह परंपरा बांग्लादेश के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र के माधोपुर जंगल में रहने वाली मंडी जनजाति में देखने को मिलती है. यहां अगर कोई पुरुष किसी विधवा महिला से विवाह करता है, तो उसे महिला की पहली शादी से हुई बेटी से भी शादी करने की अनुमति होती है. यानी मां और बेटी दोनों एक ही पुरुष की पत्नियां बन सकती हैं.
बचपन में पिता, बड़े होकर पति
इस परंपरा में बच्चियां जिन पुरुषों को बचपन से पिता मानती हैं. वही बड़े होकर उनके पति बन जाते हैं. यह मासूम उम्र में मानसिक आघात का कारण बनता है. ऐसी बच्चियों के लिए यह समझना भी मुश्किल होता है कि उनका बचपन का संरक्षक एक दिन जीवनसाथी कैसे बन गया.
ओरोला डालबोट की कहानी बनी दुनिया की सुर्खी
इस कुप्रथा की पीड़ा को ओरोला डालबोट नाम की महिला ने झेला. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब वह सिर्फ तीन साल की थीं. तभी उनकी मां की शादी के साथ उन्हें भी उसी पुरुष से विवाह बंधन में बांध दिया गया. बड़े होने पर जब उन्हें इस सच्चाई का पता चला, तो वह गहरे मानसिक संकट में चली गईं. लेकिन परिवार की मजबूरी में उन्हें इस रिश्ते को स्वीकार करना पड़ा.
महिलाओं की सत्ता, फिर भी जारी रही यह परंपरा
मंडी जनजाति एक मातृसत्तात्मक समाज है. यानी वहां महिलाओं का शासन होता है. इसके बावजूद ऐसी परंपरा को मान्यता मिलना चौंकाने वाला है. समुदाय में यह तर्क दिया जाता है कि यह व्यवस्था परिवार की संपत्ति और महिला की सुरक्षा के लिए अपनाई जाती है. लेकिन इस तर्क के पीछे कई सवाल खड़े होते हैं.
क्या अब यह परंपरा खत्म हो चुकी है?
कहा जाता है कि अब यह परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो रही है. खासकर आधुनिक सोच वाली नई पीढ़ी की लड़कियां इसे मानने से इंकार कर रही हैं. हालांकि यह पूरी तरह समाप्त हुई है या नहीं. इस पर अब भी शोध और निगरानी की जरूरत है.