RATION ALLOCATION: हिमाचल प्रदेश में राशन वितरण को लेकर संकट खड़ा हो गया है. डिपो संचालकों ने चेतावनी दी है कि अगर 30 अप्रैल तक डिपो में POS मशीनों की इंटरनेट कनेक्टिविटी बहाल नहीं होती, तो 1 मई से पूरे राज्य में सस्ते राशन का वितरण रोक दिया जाएगा. इससे राज्य के लाखों उपभोक्ताओं को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
डिपो संचालकों का कहना है कि वे बीते दो वर्षों से सरकार के वादों को निभाए जाने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अब धैर्य जवाब दे चुका है. इस चेतावनी के बीच केंद्र सरकार ने मई महीने के लिए हिमाचल को APL परिवारों के लिए राशन आवंटित कर दिया है.
केंद्र ने APL परिवारों के लिए मई राशन का किया आवंटन
केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को मई 2025 के लिए APL (Above Poverty Line) कार्डधारकों के लिए राशन आवंटित कर दिया है. हालांकि इस बार 57 मीट्रिक टन राशन का कम आवंटन किया गया है. लेकिन राहत की बात ये है कि इसका असर प्रति राशन कार्ड दिए जाने वाले स्केल पर नहीं पड़ेगा.
यानी कि APL परिवारों को पहले की ही तरह नॉन-ट्राइबल क्षेत्रों में 14 किलो आटा और 6 किलो चावल, और ट्राइबल क्षेत्रों में 20 किलो आटा व 15 किलो चावल प्रति राशन कार्ड मिलेगा.
इस बार कितना राशन आवंटित हुआ?
मई महीने के लिए हिमाचल प्रदेश को कुल 20,265 मीट्रिक टन राशन का आवंटन हुआ है. इसमें 14,144 मीट्रिक टन गेहूं और 6,121 मीट्रिक टन चावल शामिल है. यह आवंटन राज्य की APL आबादी के आधार पर किया गया है.
अगर अप्रैल 2025 की तुलना करें, तो उस महीने 20,322 मीट्रिक टन राशन का आवंटन हुआ था. इस तरह मई में करीब 57 मीट्रिक टन कम राशन दिया गया है. हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इससे किसी भी परिवार को राशन की मात्रा में कटौती नहीं झेलनी पड़ेगी.
प्रदेश में कितने हैं APL कार्डधारक?
हिमाचल प्रदेश में APL कार्डधारकों की संख्या बड़ी है. कुल 12,24,448 APL राशन कार्डधारक प्रदेश में पंजीकृत हैं. इनमें से:
- 72,445 APL टैक्स पेयर कार्डधारक हैं
- 11,52,003 नॉन टैक्स पेयर APL कार्डधारक हैं
इन सभी कार्डधारकों की कुल आबादी लगभग 44,19,312 है. इसमें से 41.26 लाख नॉन टैक्स पेयर और 2.92 लाख टैक्स पेयर नागरिक शामिल हैं. ये सभी लोग सरकारी डिपो के माध्यम से सब्सिडी वाला आटा और चावल प्राप्त करते हैं.
इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या बनी बाधा
डिपो संचालकों का कहना है कि सरकार द्वारा लगाए गए POS मशीनों में इंटरनेट कनेक्टिविटी महीनों से खराब है. जिससे राशन वितरण में बड़ी दिक्कतें आती हैं. कई डिपो ऐसे हैं जहां न नेटवर्क है, न ही वैकल्पिक समाधान. इसके बावजूद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
डिपो संचालकों ने सरकार को साफ चेतावनी दी है कि अगर 30 अप्रैल तक नेटवर्क की समस्या का हल नहीं निकाला गया, तो 1 मई से सभी डिपो बंद कर दिए जाएंगे, और APL परिवारों को राशन नहीं मिलेगा.
चुनावी वादों पर सवाल
डिपो संचालकों का कहना है कि विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस सरकार ने कई वादे किए थे. इसमें प्रत्येक डिपो संचालक को ₹20,000 मासिक वेतन और नेटवर्क सुविधा बहाल करना प्रमुख था. लेकिन सरकार बने 2 साल से ज्यादा का समय हो चुका है और आज तक वादे पूरे नहीं किए गए.
अब डिपो संचालक सरकार से सीधा जवाब मांग रहे हैं. हिमाचल डिपो संचालक समिति के अध्यक्ष अशोक कवि ने कहा है कि सरकार ने अब तक किसी तरह की वार्ता के लिए बुलावा नहीं भेजा है, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई है.
उपभोक्ताओं पर मंडरा रहा संकट
अगर डिपो संचालकों की चेतावनी पर अमल हुआ, तो मई महीने से लाखों एपीएल परिवार राशन से वंचित हो सकते हैं. खासकर ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों में जहां निजी दुकानों से सस्ता राशन मिलना मुश्किल होता है. वहां गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.
यह मामला सिर्फ वितरण का नहीं. बल्कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है. सरकार की नीतियों और तकनीकी व्यवस्था की विफलता का सीधा असर अब आम जनता पर पड़ने वाला है.
सरकार के लिए चुनौती बना डिपो विवाद
राज्य सरकार के लिए यह स्थिति बड़ी चुनौती बनती जा रही है. एक ओर केंद्र से राशन का आवंटन हो चुका है. दूसरी ओर डिपो संचालकों की नाराजगी, नेटवर्क समस्याएं और चुनावी वादों को लेकर बढ़ते सवाल सरकार की छवि पर असर डाल सकते हैं.
सरकार को चाहिए कि वह तुरंत डिपो संचालकों के साथ संवाद कर समस्या का समाधान करे. नहीं तो 1 मई से पूरे राज्य में सस्ते राशन वितरण व्यवस्था के रुकने की आशंका गंभीर संकट का रूप ले सकती है.