इतने साल बाद किराएदार बन सकता है जमीन मालिक, जाने क्या कहता है प्रॉपर्टी का कानून Property Possession

Property Possession: आजकल शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में मकान, दुकान या जमीन को किराए पर देना एक आम चलन हो गया है. कई लोग अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देकर कमाई करते हैं. जबकि बहुत से लोग किराए पर रहकर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं. लेकिन इस लेन-देन में एक छोटी सी लापरवाही भविष्य में बड़ी कानूनी परेशानी बन सकती है. ऐसे में हर प्रॉपर्टी मालिक को अपने अधिकारों और किराएदार से जुड़ी कानूनी जानकारी जरूर होनी चाहिए. खासकर जब बात ‘Adverse Possession’ जैसे कानून की हो.

क्या है ‘Adverse Possession’?

‘Adverse Possession’ यानी प्रतिकूल कब्जा एक ऐसा कानूनी प्रावधान है. जिसके तहत अगर कोई व्यक्ति किसी प्रॉपर्टी पर 12 साल तक लगातार कब्जा करके रहता है और मालिक उस पर आपत्ति नहीं करता, तो वह व्यक्ति उस प्रॉपर्टी का मालिक भी बन सकता है.

यह सुनने में जरूर अजीब लगता है, लेकिन यह भारतीय कानून का हिस्सा है. खासकर जमीन या मकान किराए पर देने वालों के लिए यह नियम बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे उनकी प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक छिन सकता है, अगर वो सावधान न रहें.

यह भी पढ़े:
Gold-Silver Price Today 9 July 2025 बुधवार को सस्ता हुआ 24 कैरेट सोना, खरीदारी करने वालों की हुई मौज Gold-Silver Price Today

कैसे बनता है किराएदार प्रॉपर्टी का मालिक?

अगर कोई किराएदार बिना किसी लिखित एग्रीमेंट के लगातार 12 साल तक मकान में रहता है और मकान मालिक ना तो किराया मांगता है, ना ही प्रॉपर्टी का जायजा लेने आता है, तो कानून यह मान लेता है कि मालिक को उस कब्जे से कोई आपत्ति नहीं है.

इस स्थिति को ही Adverse Possession कहा जाता है. इसके बाद किराएदार कोर्ट में दावा कर सकता है कि वह इस प्रॉपर्टी का वैध मालिक है क्योंकि उसने 12 साल तक बेझिझक कब्जा बनाए रखा.

कैसे बचाएं अपनी प्रॉपर्टी को Adverse Possession से?

  • रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं: हर किराएदार के साथ लिखित रेंट एग्रीमेंट होना जरूरी है. यह एग्रीमेंट आपकी प्रॉपर्टी को कानूनी सुरक्षा देता है.
  • एग्रीमेंट को रजिस्टर कराएं: 11 महीने से ज्यादा के लिए रेंट एग्रीमेंट हो तो उसे रजिस्टर कराना जरूरी होता है. इससे आपके अधिकार मजबूत होते हैं.
  • नियमित किराया लें और उसकी रसीद दें: हर महीने किराया समय पर लें और किराए की रसीद या बैंक स्टेटमेंट में उसका रिकॉर्ड रखें.
  • प्रॉपर्टी का समय-समय पर निरीक्षण करें: हर कुछ महीने में प्रॉपर्टी का निरीक्षण करना आपकी जागरूकता को दिखाता है और किराएदार को यह एहसास रहता है कि मालिक सतर्क है.
  • एग्रीमेंट खत्म होने पर उसे रिन्यू करें: 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट खत्म होने पर उसे तुरंत रिन्यू करें. ताकि कब्जा गैरकानूनी न बन सके.

रेंट एग्रीमेंट में क्या-क्या शामिल होना चाहिए?

  • किराया कितनी राशि में तय हुआ है
  • किराए की भुगतान तिथि
  • प्रॉपर्टी किस उद्देश्य से किराए पर दी गई है (रहने या व्यवसाय के लिए)
  • एग्रीमेंट की समय सीमा
  • प्रॉपर्टी में किसी प्रकार का बदलाव करने की अनुमति
  • नोटिस पीरियड (बिना नोटिस के खाली कराने की स्थिति में शर्तें)
  • संपत्ति का निरीक्षण करने का मालिक का अधिकार

किराया बढ़ाने के नियम भी जानें

रेंट बढ़ाने के नियम हर राज्य में अलग-अलग हो सकते हैं. लेकिन सामान्यतः हर 11 महीने बाद 5% से 10% तक किराया बढ़ाने की छूट होती है. इसे भी एग्रीमेंट में लिखित रूप में जोड़ना जरूरी है. ताकि भविष्य में विवाद न हो.

यह भी पढ़े:
Gold-Silver Rate Today 10 June 2025 मंगलवार सुबह धड़ाम से गिरा सोने का भाव, जाने 24 कैरेट सोने की नई कीमत Gold-Silver Price Today

बिना एग्रीमेंट के किराए पर देना हो सकता है खतरनाक

अगर आप बिना एग्रीमेंट के ही किसी को मकान या दुकान किराए पर दे देते हैं, तो वह स्थिति भविष्य में Adverse Possession के लिए मजबूत आधार बन सकती है. ऐसे में किराएदार कोर्ट में दावा कर सकता है कि वह सालों से बिना किसी रोक-टोक के वहां रह रहा है और प्रॉपर्टी पर उसका हक बनता है.

Leave a Comment

Whatsapp ग्रुप से जुड़े