School Admission: बिहार सरकार ने राज्य के शिक्षा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक और सराहनीय निर्णय लिया है. अब सरकारी स्कूलों में कक्षा एक में नामांकन के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं होगा. यह निर्णय उन हजारों बच्चों के लिए राहत की खबर है जो केवल दस्तावेजों की कमी के कारण शिक्षा से वंचित रह जाते थे. इस फैसले से खासतौर पर ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के बच्चों को स्कूल जाने का मौका मिलेगा. अनुमान है कि इस निर्णय से करीब 2.70 लाख बच्चों को सीधा फायदा पहुंचेगा.
अब किसी भी बच्चे को नहीं रोका जाएगा एडमिशन से
अब सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 में दाखिले के लिए बच्चे के पास आधार कार्ड होना जरूरी नहीं है. यदि बच्चे के पास आधार कार्ड नहीं है, तो भी उसका एडमिशन किया जाएगा. पहले के नियमों के अनुसार बिना आधार के किसी भी बच्चे को नामांकन नहीं मिल पाता था. जिससे हजारों बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया था. लेकिन अब बिहार सरकार के इस बदलाव के बाद हर बच्चा शिक्षा का अधिकार पा सकेगा, चाहे उसके पास आधार हो या नहीं.
बिना आधार कार्ड के भी मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ
न सिर्फ नामांकन बल्कि अब छात्रवृत्ति, पोशाक, मिड डे मील, किताब-कॉपी, साइकिल योजना जैसी सभी योजनाओं का लाभ बच्चों को बिना आधार कार्ड के ही दिया जाएगा. यानी अब किसी बच्चे को सिर्फ इसलिए इन योजनाओं से वंचित नहीं किया जाएगा क्योंकि उसने आधार कार्ड नहीं बनवाया है.
यह निर्णय शिक्षा के क्षेत्र में समानता और समावेशिता को बढ़ावा देगा. खासतौर पर उन बच्चों के लिए जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और दस्तावेज जुटा पाना उनके लिए मुश्किल होता है.
जून 2024 में लागू हुआ था आधार अनिवार्यता का पुराना आदेश
सरकार ने जून 2024 में आदेश जारी किया था कि सरकारी स्कूलों में एडमिशन के लिए आधार कार्ड जरूरी होगा. इस निर्णय के बाद स्कूलों में नामांकन की प्रक्रिया काफी प्रभावित हुई थी. कई बच्चों को स्कूलों से लौटा दिया गया था क्योंकि उनके पास आधार नहीं था.
ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या और भी ज्यादा देखने को मिली क्योंकि वहां पर बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र और आधार बनवाने में अभिभावकों को भारी दिक्कत होती थी. कई इलाकों में आधार सेंटर की भी सुविधा नहीं थी.
अब माता-पिता के आधार कार्ड से भी होगा एडमिशन
शिक्षा विभाग ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए अब यह फैसला लिया है कि बच्चे के एडमिशन के समय माता-पिता में से किसी एक का आधार कार्ड दिखाना ही पर्याप्त होगा. इससे स्कूल में प्रवेश प्रक्रिया सरल और सहज हो जाएगी.
इसके साथ ही स्कूल के प्रधानाध्यापक (Principal) अब ऐसे बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र बनवाने में मदद करेंगे, ताकि बाद में आसानी से उनका आधार कार्ड भी बन सके. यह व्यवस्था बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने में कारगर साबित होगी.
75% उपस्थिति की शर्त भी खत्म
बिहार सरकार ने एक और बड़ा बदलाव करते हुए यह भी घोषणा की है कि अब छात्रों को छात्रवृत्ति, पोशाक, साइकिल और अन्य योजनाओं का लाभ लेने के लिए 75% उपस्थिति की जरूरत नहीं होगी.
पहले यह शर्त थी कि छात्र यदि 75% उपस्थिति पूरी नहीं करते हैं, तो वे इन योजनाओं के हकदार नहीं होंगे. इस वजह से कई बच्चे योजनाओं से वंचित हो जाते थे, खासकर वे जो बीमार रहते हैं या किसी पारिवारिक कारण से स्कूल नहीं जा पाते.
अब इस नियम के हटने से लगभग 10 लाख छात्रों को सीधा फायदा मिलेगा और यह शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है.
छह साल के बच्चों के लिए विशेष नामांकन अभियान
सरकार ने 6 साल के बच्चों के लिए राज्यभर में विशेष नामांकन अभियान भी शुरू किया है. इस अभियान के तहत उन सभी बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाया जाएगा जो अभी तक बाहर थे. यह अभियान सुनिश्चित करेगा कि “कोई भी बच्चा स्कूल से बाहर न रहे.” सरकार की कोशिश है कि 100% प्राथमिक शिक्षा को साकार किया जाए.
नए टाइम टेबल और बच्चों के लिए स्नैक्स ब्रेक
सरकार ने बच्चों की सुविधा और सीखने को बेहतर बनाने के लिए स्कूल टाइम टेबल में भी बदलाव किया है. अब बच्चों को पढ़ाई के बीच में स्नैक्स ब्रेक मिलेगा ताकि वे भूखे न रहें और उनकी एकाग्रता बनी रहे.
इसके अलावा स्कूलों में अब सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे खेल, ड्राइंग, म्यूजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को भी समय सारणी में शामिल किया गया है. इससे बच्चे केवल किताबों तक सीमित न रहकर व्यक्तित्व विकास की ओर भी आगे बढ़ सकें.